शनिवार, 3 दिसंबर 2022

#DAGADUSHETH#HALWAI#GANPATI#TEMPLE#PUNE

                दगडूशेठ हलवाई मंदिर पुणे 

         पुणे के चौक बाजार में बहुत ही भव्य गणपती मंदिर है। मंदिर करीब 130 साल पुराना है ,पर मंदिर के रख रखाव के कारन नया जैसा लगता है। दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई पुणे में मिठाई  निर्माता और  व्यापारी थे. उनकी मूल हलवाई दुकान आज भी उनके नाम से पुणे में है।मंदिर में गणेश जी की मूर्ति करीब 2  मीटर लम्बी और 1  मीटर चौड़ी है. 40 किलो सोना से मूर्ति को सजाया गया है।अंदर मार्बल का दो प्रहरी बना हुआ है। पुरे मंदिर के अंदर दीवाल में चाँदी का पत्तर लगा हुआ। 

            सन  1800 में अपने एकलौते पुत्र को प्लेग महामारी में खोने के बाद वे अपने 9 साल के भतीजे गोविन्द को गोद ले लिया।उन्हें एक संत ने गणेश मंदिर बनवाने को कहा जिससे उन्हें थोड़ी शांति मिले। 1891 में उनकी मौत हो गयी। उनका भतीजा बहुत ही उदार ,धार्मिक और दयालु था। उसने मूर्ति को थोड़ा नया रूप दिया। मंदिर में सोना ,चांदी और रूपया बहुत चढ़ावा में आता था। उन्होंने एक पहलवानो के लिये प्रशिछण केंद्र बनवाया और वहां भी गणेश प्रतिमा स्थापित किया। गोविन्द हलवाई के नाम से पुणे में एक चौक का नामकरण हुआ। उन्होंने एक ट्रस्ट दत्ता मंदिर ट्रस्ट के नाम से  वनवाया। 1943 में उनकी मौत के बाद उनका पुत्र दत्तात्रेय गोविन्द सेठ ने मंदिर परिसर में एक गणेश मूर्ति स्थापित किया जो आज भी है। ये भी दयालु और उदार और धार्मिक है। ट्रस्ट के पैसे से मंदिर का पूजा पाठ उत्सव आदि रोज होता है। ट्रस्ट बुजुर्गों का आश्रम ,बेसहारा बच्चों का पढ़ाई ,रहना देखभाल करती है। गरीबों का मुफ्त इलाज ,भोजन ,एम्बुलेंस आदि ट्रस्ट करती है।

              मंदिर बाजार के बीच ऐसा बना हुआ है की लोग बाग आते जाते गणेश जी का दर्शन बहार से कर सकते है।  रात को मंदिर बहुत ही सुन्दर दिखता है।पुणे जाने से एकबार मंदिर जरूर जा कर देखना चाहिए।





  

              

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें