मंगलवार, 10 जनवरी 2017

THE BLUEST HEAVEN

                                                         THE BLUEST HEAVEN

             नीलगिरी को हैवन बोला जाये तो एकदम सही है। यहाँ का शांत एकांत स्वच्छ वातावरण घाटी, जंगल पहाड़ ,चाय बागान के अलावा हर 12 साल में खीलने वाला कुरंजी फूल जिसका रंग  नीला -बैगनी होने के कारन पुरे घाटी का रंग नीला हो जाता है। इसलिए नीलगिरी बोला जाता है। 
           कुन्नूर -ऊंटी के 2 -4 कीलोमीटर के रेडियस में एक से एक सुंदर झरना ,गार्डन ,बाग -बगीचा है। यहाँ का मौसम ऐसा है की साल भर टूरिस्टों का आना जाना होता रहता है। अब टूरिस्ट तो 2 -4 दीन रह कर घुम फिर कर वापस चले जातें हैं ,सब जगह एक बार में घुमना मुस्किल ही है। मेरा 3  -4 महीना एक ही बार में रहना होता है ,तो बहुत जगह कभर हो जाता है। कोई मेहमान आजाये तो फिर क्या कहना उनको घुमाने के बहाने हमारा फिर से घूमना हो जाता है। टूरिस्ट प्लेस होने के कारन मेहमान का आना जाना लगा रहता है।बस घूमते -घामते रहो, मजा ही मजा है।
                         इस बार दशहरा ,दिवाली ,क्रीसमस ,नया साल जन्मदिन राजेश का टी डाईजेस्ट भी लॉंच हुआ ,तीनो बाप बेटा इस अवसर में थे।  सब कून्नूर में ही मनाना हुआ। बच्चे भी खुश हमलोग भी खुश। भईया -भाभी भी नया साल मनाने आ गये तो   और मजा बहुत जगह उनको घुमाने के बहाने हमलोगों का भी घुमना हो गया। 
       साईं मंदिर ,पायकरा ,डोड्डाबेट्टा ,सिम्स पार्क ,टी फैक्टरी ,कटेरी पार्क,कोडांणाद ,जयललिता का टी स्टेट ,कार्तिक मंदिर और भी बहुत कुछ घुमने -देखने का मौका मिला। बच्चे तो आने ही नहीं दे रहे थे। पर 3 -4 महीना हो गया था ,अब गये थे तो आना तो पड़ेगा। खट्टी -मीठी यादें सजों कर आखीर रायपुर वापस आ ही गये।












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