श्री थांथी मरियम्मन मंदिर
अंग्रेजों के ज़माने में कुन्नूर जंगल के बीच में एक छोटा सा गावँ था। अंग्रेजो ने टेलीग्राम के लिये इस जगह खम्भा लगवाया था जो आज भी मंदिर के प्रांगण में है।एक भक्त को स्वप्न में देवी प्रगट हुई थी ,वहाँ खोदाई करने पर देवी माँ का मूर्ती मिला जिसे स्थापित कर के मंदिर बनवाया गया। इसलिए देवी को स्वम्भू माना जाता है। मंदिर प्राचीन और छोटा जरूर है पर देवी जागृत लगती है। हमेशा पूजा होने के कारन भक्तों का ताँता लगा रहता है। हर मंगलवार ,शुक्रवार ,नवरात्री ,दिवाली ,तमिल नया साल आदि विशेष पर्व त्यौहार में विशेष पूजा ,अर्चना होता है। जिस साल बारिश नहीं होता है तो भक्त पूजा अर्चना करते थे तो बारिश होता था इसलिए देवी को बारिश की देवी भी बोला जाता है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिये पूजा करने आते है और फल पाते है।
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