एक महीना
देखते ही देखते माँ को दुनिया छोड़े एक महीना बीत गया। एक पल ऐसा लगता है की कल की ही तो बात है, और एक बार ऐसा भी लगता है की अरे माँ तो अब हमारे बीच है ही नहीं तो मन बड़ा भारी हो जाता है।माँ का फोटो देख कर ऐसा लगता है की माँ हमलोगों के बीच ही ही और अब कुछ बोलेगी। बस माँ का हँसता चेहरा ही दिखता है। ऐसे में बाबा को अकेले छोड़ कर आना भी बहुत मुश्किल लगा, पर आना तो पड़ेगा ही।दोनों भाई के ना रहने पर भी कम से कम माँ तो थी। अब माँ के जाने के बाद बाबा एकदम अकेले हो गए है। सोच कर भी बड़ा डर लगने लगता है। अब कर भी क्या सकते है। प्रभु इच्छाआगे भी अच्छा ही होगा।
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