मंगलवार, 22 मई 2018

AMARANTHUS

                                     अमारंथुस ( साग -भाजी )

         जैसा की नाम है अमारंथुस  खाओ और अमर रहो। हमारे देश के मौसम के अनुसार अलग -अलग प्रान्त में अनेक प्रकार का साग भाजी होता है। वहाँ के जलवायु के अनुसार ही वह बहुत ही उपयोगी होता है। छतीसगढ़ की बात करे तो यहाँ गर्मी बहुत होने के कारन भाजी भात बहुत उपयोगी होता है। ठंडा भी करता है और सारे विटामीन ,मिनरल से भर पुर भी होता है। सस्ता भी होने के कारन गरीब से गरीब लोग भी अपने भोजन में शामिल करते है।
      इस मौसम में लाल भाजी  ,चौलाई भाजी ,खेड़ा भाजी वगैरा बहुत मिलता है। इसके नरम पत्तों का साग तो बनाते ही है इसके अलावा इसके ठंठल को मुनगा  जैसा भी सब्जी बना कर खाया जाता है जोकि बहुत टेस्टी होता है।कुन्नूर में भी बहुत तरह का पत्ते वाला सब्जी मिलता है पर नाम भी नहीं मालूम रहता है बनाने का तरीका भी नहीं पता रहता है इसलिए खास -खास ही भाजी बन पता है ,राजेश यहाँ का खेड़ा और लाल साग बहुत मिस करता है। जब -जब रायपुर आता है तब जरूर बनवा  कर खाता है।
     बचपन में हमलोग लाल साग भात बहुत पसंद से खाते थे। पूरा भात लाल लाल हो जाता था। बाबा का आदत था मौसमी फल हो या सब्जी वही लाना और माँ टेस्टी -टेस्टी बनाती  थी और हम सब बहुत चाओ से खाते थे।छतीसगढ़ का खेड़ा तो बहुत ही प्रसिद्ध है और कहावत भी है की जैसे मथुरा का पेड़ा वैसे छतीसगढ़ का खेड़ा। खेड़ा तो गार्डन में लगाते है और सबलोग बहुत पसंद करते है। 






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