त्यौहारों का देश
हमारे देश में हर मौसम के लिये त्यौहार बना है। साल भर कुछ न कुछ व्रत उपवास चलते रहता है। अब सावन -भादों हो या कवांर -कार्तिक बस त्यौहारों का लाईन लगा रहता है। हमारे पूर्वज, रिषी और मुनियों को कितना ज्ञान था इसी से समझ आता है की हर त्यौहार में पर्यावरण का खास ध्यान रखा गया था हर तरह का पेड़ पौधा का पूजा जैसे नीम ,बढ़ ,पीपल ,तुलसी ,केला,आंवला ,आम हो या चाँद ,सूरज हो या कोई वार बस तिथि में उस वस्तु का पूजा में उपयोग होता है। यहाँ तक की नदी भी चाहे गंगा हो या जमुना ,गोदावरी हो या कावेरी ,सारे तीर्थ भी इन्ही नदियों के किनारे है।
हर त्यौहार में साफ -सफाई से लेकर घर के हर सदस्य का पूजा में जरूरी होना पड़ता था। भाई -बहन का राखी के नाम तो पुत्र का चौथ ,छठ हो या पति के लिये तीज बस इसी बहाने परिवार के लोगों का मिलना जुलना भी हो जाता था और प्रक्रिती से भी लोग जुड़े रहते थे।
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