मंगलवार, 9 जून 2015

JUNGLE KE KAHANI

TUE,JUN 9

                                                                 जंगल की कहानी 

              बचपन में नानी दादी से सुने थे एक कहानी।उस समय कहानी समझ नहीं आरहा था ,कहानी तो अब पूरा याद भी नहीं है। कहानी का सार ये था कि एक बच्चा गर्मी की छुटी में अपने नानी के घर जंगल के रास्ते से जाता है ,रास्ते में एक भेड़िया मिलता है वह बालक से कहता है की रूको मुझे भूख लगी है मैं तुम्हें खाऊँगा। बालक बड़ा चलाक था ,वो भेड़िया से कहता है की अभी तो मै बहुत दुबला पतला हूँ अभी मुझे नानी के घर जाने दो ,मैं नानी के घेर से खूबसारा  दूध मलाई खा कर मोटा हो कर लौटूंगा तब मुझे खाना भेड़िया बालक के बात में आकर उसे छोड़ देता है। नानी के घर से वापसी वो दूसरे रास्ते से करता है। और बच जाता है
             तब लगता था नानी के घर तो ट्रेन में बैठो और पहुँच जाओ रास्ते में कहाँ जानवर मिलेगा ।इस बार कुन्नूर से बच्चे बैंगलोर मौसी के घर गये तो रास्ते में जंगल हो कर ही जाना पड़ता है तो रास्ता भर जानवर मिला वाट्सएप में मोर ,हाँथी ,हरीन और बाइसन का फोटो भेजते थे।तब अचानक बचपन का कहानी याद आगया। 



   

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