शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

#KAIVALYA#DHAM#JAIN#TEMPLE#KUMHARI

                    कैवल्य धाम जैन मंदिर 

                   रायपुर के पास कुम्हारी में खारुन नदी के तट में कैवल्य धाम मंदिर स्थित है। यहाँ एक ही परिसर में चंद्रकार आकार में 29 मंदिर है। सफ़ेद मकराना पत्थर से बना शानदार नक्काशी की गयी है। बीच में बड़े मंदिर में भगवान आदिनाथ विराजित है और अगल बगल के मंदिर में 24 तीर्थंकर की प्रतिमाएं है। इसके अलावा भैरव ,और तीन देवी देवताओं की मूर्ति भी है। परिसर में साधु साध्वीयों के लिये आश्रम ,विश्राम गृह ,चिकत्सा केंद्र ,भोजनालय आदि भी है। पूरा परिसर 32 एकड़ में फैला हुआ है। पूरा परिसर का भव्यता देखते ही बनता है। 2008 में मंदिर बन कर तैयार हुआ है। मंदिर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। 29 मंदिर ऐसे परिसर  में कतार बद्ध है की सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूरा परिसर जगमगा जाता है। जैन के अलावा कोइ भी मंदिर जा कर दर्शन कर सकता है।








 

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

#BELUR#MATH#WEST#BENGAI

                          बेलुड़   मठ  

                 बेलुड़ मठ पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के तट पर है। यहाँ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है। इसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1887 में की थी।विवेकानंद रामकृष्ण के प्रमुख शिष्य थे। विवेकानंद जब विदेश यात्रा के बाद दखिनेश्वर पहुंचे तो उनको अंदर आने नहीं दिया गया उन्हें जात बहार कर दिया गया था क्योंकि वे विदेश की धरती से वापस आये थे। फिर वे हुगली पार दखिनेश्वर मंदिर के सामने बैठ गए और वहीं से अपने गुरु का ध्यान करते थे। और फिर वहीं आश्रम बनवाये। उनके गुरु पहले ही बता दिए थे की वे अल्पायु है। विवेकानद अंतिम समय तक यही रहे और यहीं समाधि लिये। बेलुड़ मठ में विवेकानंद के अलावा माँ शारदा और रामकृष्ण जी का भी मंदिर है। यहाँ एक म्यूजियम भी है। गंगा किनारे एकदम शांत एकांत मोहाल में है। यहाँ आने पर बहुत ही शांति मिलती है।   







बुधवार, 31 जनवरी 2024

#SUNDARBAN#DELTA#WEST#BENGAL#KOLKATA

                          सुंदरवन  डेल्टा  कोलकात्ता 

                 सुंदरवन बंगाल की खाड़ी में गंगा ,ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम से बने डेल्टा में एक मैंग्रोव छेत्र है। मैंग्रोव पेड़ का नाम सुंदरी है इसलिए इसका नाम सुंदरवन पड़ा। सुंदरवन में मैंग्रोव वन करीब 10 ,000 किलोमीटर छेत्र में फैला हुआ है,और डेल्टा के लम्बाई 400 किलोमीटर है।  यहाँ सैकड़ों प्रकार के जीव जन्त्रू ,जल पक्छी ,स्तनपाई ,बाघ आदि है।वाइल्ड लाइफ प्रेमियों के लिये जन्नत है। यूनेस्को विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है। 

              


















कोलकाता से रोड द्वारा 3 04 घंटे में  गड़खली पहुँचते है फिर वहां से नाव से डेल्टा में पहुँचते इसमें भी आधा घंटा लग ही जाता है। यहाँ बहुत सरे होटल रिसोर्ट आदि है।रिसोर्ट में मनोरंजन का सभी साधन है।रात को फोल्क डांस वगैरा भी होता है।   सुबह शाम बोट में घूमने जा सकते है। बोट डेल्टा में बीचो बीच जाता है और दोनों तरफ मैंग्रोव पेड़ ही पेड़ देखने मिलता है। लकी हो तभी बंगाल टाइगर दिखेगा नहीं तो बाकी छोटे बड़े जीव जंतु ही दिखता है। 

      

सोमवार, 29 जनवरी 2024

#MURSHIDABAD#WEST#BENGAL

                         मुर्शिदाबाद 

              मुर्शिदाबाद 16 वीं शताब्दी में अकबर द्वारा बसाया गया था। बाद में औरंगजेब के आदेश से मुर्शिद कुली खां अपनी राजधानी ढाका से इस नगर में ले आया। और इस नगर का नाम मुर्शीदाबाद पड़ा। उस ज़माने में बिहार ,बंगाल और ओडीशा तीनों राज्य इसी के अंडर में था। मुर्शीदाबाद गंगा किनारे बसा है यहाँ गंगा का नाम भागीरथी है आगे चल कर सागर में मिल जाती है जो की गंगा सागर कहलाता है।उस ज़माने में बहुत ही सम्पन था। कलकत्ते से 5 -6 घंटे में मुर्शीदाबाद पहुँच सकते है।  

      ऐतिहासीक जगह होने के कारण देखने घूमने के लिये बहुत सारा स्थान यहाँ है जिसमें प्रमुख जगहों में  हजारद्वारी महल ,कठगोला महल ,पारसनाथ जैन मंदिर  ,कोशाबाग ,इमामबाड़ा ,पीला मस्जिद, मोतीझील इत्यादी  जगह है।









 

गुरुवार, 25 जनवरी 2024

#ISKCON#MAYAPUR#NADIA

                                 इस्कॉन मंदिर 

              पश्चिम बंगाल के नदीया जिले के मायापुर में इस्कॉन मंदिर स्थित है।  दुनिया का सबसे बड़ा वैदिक मंदिर और  इस्कॉन का हेडक्वॉटर है। माया पुर चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थल है। चैतन्य महाप्रभु को 500 साल पहले  कृष्ण राधा का अवतार माना जाता था । वे कृष्ण भक्त थे।इस मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा होती है और गीता के उपदेश का प्रचार किया जाता है। मंदिर सैकड़ों एकड़ में फैला हुआ है। अभी भी इसमें काम चल ही रहा है। साल भर में तैयार हो जायेगा। मंदिर कैम्पस इतना बड़ा है की कैम्पस के अंदर अलग अलग भवन ,रेस्टुरेंट ,गोशाला बहुत कुछ घूमने और देखने का है। अच्छी बात है की कैम्पस के अंदर सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक ईरिक्शा चलता है जिससे घूमने में कोइ परेशानी नहीं होता है।महाप्रभु का 

             मंदिर गंगा किनारे है इसलिए हरिद्वार जैसा यहाँ भी गंगा आरती की तैयारी चल रही है।मंदिर पूरा हो जायेगा और घाट का निर्माण हो जाने पर गंगा आरती का भी कार्यक्रम चालू हो जायेगा।  मंदिर के बाहर नदीया ग्राम में चैतन्य महाप्रभु का जन्म गृह ,उनकी मौसी का घर आदि अभी भी सुरक्छित है ,जहाँ महाप्रभु का जीवनी दर्शाया गया है। कलकत्ते से  करीब 3 घंटा मंदिर पहुंचने में लगता है। सुबह जा कर रात को वापस आ सकते है पर एक रात रुकना अच्छा होगा घूमने देखने का बहुत जगह है। पर रूम ऑन लाईन ही बुक कर सकते है।रूम में सभी सुविधा है कैम्पस में खाने पीने का भी कोइ प्रॉब्लम नहीं है बस कैम्पस में चाय ,कॉफी आदि वर्जित है। शुद्ध शाकाहारी भोजन सुबह 8 बजे से रात 8 तक आराम से मील जाता है। यहाँ का गोशाला भी देखने लायक है जहाँ सैकड़ो बहुत ही उम्दा गायें है।






  

                         

रविवार, 21 जनवरी 2024

#GANGASAGAR

                               गंगासागर  तीर्थ 

                    सारे तीर्थ बार बार गंगासागर एक बार 

   किसी ज़माने में कहावत था की सारे तीर्थ बार बार गंगा सागर एक बार। साल में एक बार मकरसंक्रान्त में गंगा सागर में मेला लगता था। कलकत्ता से पांच छे घंटा रोड से जाकर फिर स्टीमर से गंगा पार करके जहाँ गंगा सागर से मिलती है वहां लोग गंगा में डुबकी लगाते थे। पर्व के कारन भीड़ भी खूब होता था और जाने आने में कठीनाई भी बहुत रहता था, पर अब ऐसा नहीं है. करीब करीब साल भर श्रद्धालु गंगा सागर जाते है। कलकत्ते से रोड भी खूब अच्छा बन गया है। कलकत्ता से काकद्वीप करीब पांच घंटे में पहुँचते है वहां से स्टीमर से 45 मिनट में कुचुबेड़िया घाट में आना होता है फिर 45 मिनट रोड से यात्रा करने पर गंगासागर घाट पहुँचते है।

                    गंगासागर स्न्नान करके गंगा किनारे कपिल मुनि का मंदिर ,राजा सागर और राजा भागरथी का मंदिर में दर्शन करते है। कपिल मुनि के कहने पर राजा सागर के पुत्र भगीरथ ने तपस्या करके गंगाको यहीं अवतरित किया था इसलिए गंगा को भगीरथ कहते है। फिर वापस घाट से स्टीमर लेकर काकद्वीप पहुँच कर वापस कलकत्ता जाना होता है। पूरा एक दिन यात्रा में लगता है। 






  


शनिवार, 30 सितंबर 2023

#PENTAS#FLOWER

                          पेंटास फूल 

                  पेंटास का पौधा छोटा होता है और इसमें गुच्छे में फूल होता है। करीब करीब बारोह महीना फूल खिलते रहता है। सुबह का धुप जरूरी होता है। पानी भी रेगुलर डालना पड़ता है। फूल लाल ,गुलाबी ,पर्पल ,सफ़ेद आदि अनेक रंगो में होता है। गमले में लगाना ज्यादा अच्छा रहता है।पेंटास का  पौधा 2 -3 फ़ीट हाईट का होता है। पौधा मूलता मेडागास्कर और साउथ अफ्रीका का है पर अपने देश में भी अच्छा से फलता फूलता है। कटिंग से लग जाता है। फूल होते जाये और कटींग कर के नया पौधा बनाते जाना चाहिए।