मित्रता दिवस
30 जुलाई 1958 को UNA ने इंटरनेशनल फ्रैंडशिपडे की घोषणा की ,उसके बाद ही विश्व में मनाया जाने लगा। अलग -अलग देश में अलग -अलग दिन मनाया जाता है। भारत ,बांग्लादेश ,मलेशिया इत्यादी देशों में अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाया जाता है।
आज के एलेक्ट्रोनिक युग में मित्र बनाना और बिछुड़ना का कोई बात ही नहीं है। साधन इतना है की जब मन चाहे मिलो बात करो दूरी कहीं लगता ही नहीं है। हमारे बचपन में फ़ोन ,मोबाईल इत्यादी का जमाना नहीं था। जब तक स्कूल -कॉलेज में पढ़ते थे तो सखी सहेली के साथ मस्ती ,मिलना ,जुलना होते रहता था। शादी हुआ की नहीं बस फिर कौन कहाँ ना मिलना ना जुलना ,धीरे -धीरे अपने -अपने परिवार तक ही सीमित हो जाते थे। नेट के ज़माने में अब कोई बात ही नहीं है।
वैसे 2 -4 मित्र लाईफ में जरूर होना चाहिए।आजकल फ्रेंडशिप बैंड बाजार में मिल जाता है। बच्चे लोग रविवार के बदले सोमवार को स्कूल में बैंड लेजाकर अपने मित्रों को बांध देते है। हमलोग का तो बच्चपन का एक दो सहेली छोड़ कर कोई भी टच में नहीं है।
सिस्टर दिवस
हजारों दिवस की तरह ही बहन दिवस भी अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है।इसकी शुरुआत कब और कहाँ से शुरू हुई इसका ठीक से अभी पता नहीं चला है। ये भी विदेशियों की ही देन है। हमारे देश में तो भाई बहन सब एक ही घर में पुरे परिवार के साथ खेलते कूदते बड़े हो जाते है उन्हें अलग से विशेष कोई दिवस की जरुरत नहीं पड़ती है।बड़े होने पर तीज त्यौहार में मिलना जुलना हो ही जाता है।
संजोग ही बोलेंगे बहन और मित्र दिवस दोनों एक ही दिन मनाया जाता है। बचपन की सहेली भी बहन जैसी हो जाती है और बहन भी सहेली जैसा रहती है।हम लक्की है की हमारी बहन है।हमलोग सहेली जैसा रहते है। अपना सुख दुःख बतियाते है और हँसी खुशी से मिलते जुलते रहते है।
30 जुलाई 1958 को UNA ने इंटरनेशनल फ्रैंडशिपडे की घोषणा की ,उसके बाद ही विश्व में मनाया जाने लगा। अलग -अलग देश में अलग -अलग दिन मनाया जाता है। भारत ,बांग्लादेश ,मलेशिया इत्यादी देशों में अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाया जाता है।
आज के एलेक्ट्रोनिक युग में मित्र बनाना और बिछुड़ना का कोई बात ही नहीं है। साधन इतना है की जब मन चाहे मिलो बात करो दूरी कहीं लगता ही नहीं है। हमारे बचपन में फ़ोन ,मोबाईल इत्यादी का जमाना नहीं था। जब तक स्कूल -कॉलेज में पढ़ते थे तो सखी सहेली के साथ मस्ती ,मिलना ,जुलना होते रहता था। शादी हुआ की नहीं बस फिर कौन कहाँ ना मिलना ना जुलना ,धीरे -धीरे अपने -अपने परिवार तक ही सीमित हो जाते थे। नेट के ज़माने में अब कोई बात ही नहीं है।
वैसे 2 -4 मित्र लाईफ में जरूर होना चाहिए।आजकल फ्रेंडशिप बैंड बाजार में मिल जाता है। बच्चे लोग रविवार के बदले सोमवार को स्कूल में बैंड लेजाकर अपने मित्रों को बांध देते है। हमलोग का तो बच्चपन का एक दो सहेली छोड़ कर कोई भी टच में नहीं है।
सिस्टर दिवस
हजारों दिवस की तरह ही बहन दिवस भी अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है।इसकी शुरुआत कब और कहाँ से शुरू हुई इसका ठीक से अभी पता नहीं चला है। ये भी विदेशियों की ही देन है। हमारे देश में तो भाई बहन सब एक ही घर में पुरे परिवार के साथ खेलते कूदते बड़े हो जाते है उन्हें अलग से विशेष कोई दिवस की जरुरत नहीं पड़ती है।बड़े होने पर तीज त्यौहार में मिलना जुलना हो ही जाता है।
संजोग ही बोलेंगे बहन और मित्र दिवस दोनों एक ही दिन मनाया जाता है। बचपन की सहेली भी बहन जैसी हो जाती है और बहन भी सहेली जैसा रहती है।हम लक्की है की हमारी बहन है।हमलोग सहेली जैसा रहते है। अपना सुख दुःख बतियाते है और हँसी खुशी से मिलते जुलते रहते है।
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