रायपुर की सैर
बहना के संग
चालीस साल में पहली बार ज्योति बहन रायपुर आई। तो स्वभाविक था रायपुर अच्छे से घुमाना। चालीस साल पहले का रायपुर और आज का रायपुर में अंतर भी बहुत था। फिर भी जो भी अच्छा बुरा था हमलोगों ने खूब घुमा -फिरा। पुरानी बचपन की बातें याद करके खूब मजे किये। दो -चार दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। घर में सबों को भी मिलना अच्छा लगा और बहन ज्योति को भी बहुत मजा आया।खट्टी -मीठी यादें लेकर वापस भी चली गयी।
बहना के संग
चालीस साल में पहली बार ज्योति बहन रायपुर आई। तो स्वभाविक था रायपुर अच्छे से घुमाना। चालीस साल पहले का रायपुर और आज का रायपुर में अंतर भी बहुत था। फिर भी जो भी अच्छा बुरा था हमलोगों ने खूब घुमा -फिरा। पुरानी बचपन की बातें याद करके खूब मजे किये। दो -चार दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। घर में सबों को भी मिलना अच्छा लगा और बहन ज्योति को भी बहुत मजा आया।खट्टी -मीठी यादें लेकर वापस भी चली गयी।
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