नील कमल
नील कमल साल भर खिलता है ,बस सुबह की धूप भर पुर मिलना चाहिए। नीला रंग के कारन कृष्ण कमल भी बोला जाता है। वैसे अलग -अलग समय कल में अलग कहानी भी नील कमल से जुड़ा हुआ है। बुद्ध धर्म वालों का कहना है भगवान बुद्ध जब स्वर्ग सिधारे तो 108 नील कमल उनके रास्ते में बिछ गया था। रामायण में कहा गया जब रामजी रावण से युद्ध करने जाने वाले थे तो दुर्गा जी को 100 नील कमल चढ़ाने का सोचे ,पर उनको सिर्फ 99 कमल मिला तो वे अपने आँख को कमल रूप में चढ़ाये जिससे 100 कमल हो गया। तब से बिष्णु जी को कमल नयन भी बोला जाता है।
अब कहानी कुछ भी हो कमल तो कमल ही है। अभी तक हमारे पौंड में 4 -6 कमल ही खिलता था पर, इस बार तो कमल का बहार ही आ गया। रोज ही 15 -20 नील कमल खिल ही जाता है।नील कमल का खासियत भी तो है ,सूरज की पहली किरण पड़ने पर खिलना और सूरज अस्त होने पर बंद हो जाना। दिन भर रौनक बना रहता है। जब की कुमुदनी रात चंद्रमा के समय खिल कर सुबह बंद हो जाता है। जहाँ पौंडमें फूल का बहार है, वहीं सैकड़ों रंग बिरंगी मछली भी दिन भर तैरती दिखती रहती है।
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