मंगलवार, 13 सितंबर 2016

MY FATHER

                                                 मेरे बाबा 

                    मेरे बाबा आज  90 साल के हो गये हैं। पर अभी भी काफी एक्टीव हैं उम्र के कारन कुछ कमजोर जरूर हो गये हैं। बाबा को बचपन से बागबानी ,पढ़ना और स्टाम्प जमा करने का बहुत शौक है। पर बाबा 80 साल के उम्र में लेख लिखना शुरू किये समाचार पत्र में उनका स्टाम्प और बागवानी का अनुभव छपना शुरू हुआ। फिर कुछ लघु कहानियाँ लिखने लगे और ओभी छपा। अब तो बाबा का 7 -8 पुस्तक भी छप चुका है। इसे ही कहतें हैं माँ सरस्वती की कृपा। और मजे की बात तो ये है बाबा की माँ का नाम भी सरस्वती देवी था। 
      बाबा के कुछ पुस्तक का नाम ---
 1 2008 --केशरवानी  वैश्य समाज का इतिहास 
 2 2012 --अजनबी ( लघु कथा ) इसमें सम्मान भी मिला है ,अपने आसपास की घटना का वर्णन है। 
 3 2014 --झरोखा  ( लघु कथा )
 4 2015 --विष कन्या  ( बिहार के गाँव की कहानी )
 5 2016 --पुर्नमिलन (टाटा के चार मित्रो का मिलन 2 वर्ल्डवार के बाद अब )
 6 2016 --जॉगर्स पार्क की कहानियाँ 
 7 2016 --गुलदस्ता ( कथा पुष्पों का )
          पहले तो बाबा स्टाम्प प्रदर्शनी में भाग भी लेते थे.उनके पास हजारों दुर्लभ स्टाम्प  अभी भी है।बड़ा मन था की बाबा का इस बार धूम -धाम से पुरे परिवार भाई भतीजा के साथ मिल कर जन्मदिन मनायें पर जाना नहीं हो सका  .कोई बात नहीं बस भगवान उनको स्वस्थ रखे और वे हँसी ख़ुशी रहें।
   बाबा का भाई ,बहन,माँ -बाबा  सबों का फोटो  पुराने एलबम से डाल कर ही संतोष कर लेते हैं।



बाबा का परिवार 



बाबा के मित्र 



       बाबा दोस्ती भी निभाना जानते हैं उनके 2 -4  ही मित्र हमलोग बचपन से देख रहें है और वे लोग आज भी हमारे फैमिली फ्रेंड्स हैं और सबों का आना जाना बना हुआ है। चाहे 90 साल का मित्र हो या 95 साल का आज भी मिल  कर सबों को बहुत ही अच्छा लगता है।आज हिन्दी दिवस भी है ,बाबा का कुछप्रकाशित पुस्तक का फोटो भी डाल दिये है। 
प्रकाशित पुस्तक 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें