FRI,18 MAR
देखते -देखते टाटा से आये भी 20 -25 दिन हो ही गया। इस बार मौका ही ऐसा था की बहुत ही भारी मन से टाटा से आये। जब से आये तब से कुछ लिखना पढ़ना नहीं हो पा रहा था। माँ -बाबा के लिये बहुत चिंता होता है। एक बेटा तो गया ही दूसरा भी चला गया उम्र के इस पड़ाव में अभी और कितना गम झेलना बाकी है भगवान ही जाने। एक बेटे का गम माँ बाप से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता है। भगवान दोनों को इस नाजुक घड़ी से निकलने का मौका दे और हिम्मत दे।
Aap sub Ko Ishwar is dukh Se nikalne ki himmat de.
जवाब देंहटाएंTake care dadi.