शुक्रवार, 18 मार्च 2016

DUKH KEE GHADEE

FRI,18 MAR
                          
                                देखते -देखते टाटा से आये भी 20 -25 दिन हो ही गया। इस बार मौका ही ऐसा था की बहुत ही भारी मन से टाटा से आये। जब से आये तब से कुछ लिखना पढ़ना नहीं हो पा रहा था। माँ -बाबा के लिये बहुत चिंता होता है। एक बेटा तो गया ही दूसरा भी चला गया उम्र के इस पड़ाव में अभी और कितना गम झेलना बाकी है भगवान ही जाने। एक बेटे का गम माँ बाप से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता है। भगवान दोनों को इस नाजुक  घड़ी से निकलने का मौका दे और हिम्मत दे।




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