गुरुवार, 7 जनवरी 2016

THE LAND OF KANGAROOS AND OSTRICH (NEW ZEALAND AND AUSTRALIA)


                                               कंगारु ,ओस्ट्रीच और फ़ीज़ोर्ड के देश की सैर 
                                                          (न्यू जीलैंड से  ऑस्ट्रेलिया )
                      मुझे 2013 में न्यूजीलैंड से ऑस्ट्रेलिया क्रूज से सैर करने का मौका मिला। हम भारत से ऑकलैंड न्यूजीलैंड की राजधानी पहुंचे। 2 -3 दिन ऑकलैंड घूम कर फिर जहाज से हमारा 20 दिन का सफर शुरू हुआ। अब यही हमारा घर और जहाज के लोग हमारे मित्र तथा परिवार हो गये। हमारा सफर का पहला पड़ाव तरूँगा शहर में पड़ा। 
  तरूँगा -कीवी फल यहीं से निकला है ,चारो तरफ कीवी फार्म ,कीवी से वाईन बनाया जाता है ,टूरिस्ट को वाईन फैक्ट्री और फार्म दिखाते है। दिन भर घूम कर वापस क्रूज़ में आगये। दो दिन पानी में चलने के बाद तीसरे दिन ओकरा में पहुँचे 
  ओकरा -भी बहुत ही सुन्दर था यहाँ फ्रेंच कोलीनी होने के कारन फ्रेंच वाईन ,कीवी का केक बनता है। यहाँ समुन्दर के किनारे मीलों तक विनियर्ड है ,क्राईस्ट चर्च भी यहीं है। अब हमारा क्रूज़ फिर चल पड़ा। 
 डुनेडिन -ओटँगा हार्बर के किनारे बसा सुन्दर शहर था। यहाँ पीली आँखों वाली पेंगुएन ,यूनीवर्सिटी ,कड़वारीस फैक्ट्री वगैरा देखने मिला।यहाँ का रेलवे स्टेशन भी देखने योग्य है। डुनेडिन से हमारा जहाज अब न्यूजीलैंड से आगे ऑस्ट्रेलिया के ओर बड़ा तीन दिन और रात पानी में चलते रहे। 
   फीजोर्ड -हमारा जहाज धीरे -धीरे फीजोर्ड के बीच से गुजर रहा था। चारो तरफ ऊँचा -ऊँचा पहाड़ ,पहाड़ के बीच से पतला रास्ता से गुजरते हुए झरना देखते हुआ गुजर रहे थे। दिन भर डस्की साउंड ,डाउटफुल साउंड और माइलफोर्ड साउंड (फीजोर्ड का नाम )का नजारा देखना बड़ा अच्छा लग रहा था। तीन दिन पानी में चलने के बाद अब हमारा जहाज ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में पहुंचा।
   सिडनी -बहुत बड़ा खुबसूरत हार्बर शहर के बीच में है। यहाँ विश्व प्रसिद्ध ओपेरा हॉउस है। हमारा जहाज ओपेरा हाउस के बगल में दो दिन रुका। 1952 में ओपेरा हॉउस बना था ,इतना बड़ा है की डांस ,ड्रामा ,वेलेट और ओपेरा सब का अलग अलग हॉल बना है। सिडनी का फिश मार्केट भी बहुत ही जोरदार था एकदम अलग तरह का जिसे देखने टूरिस्ट जाते है।अब हम फिर आगे बड़े दूसरे दीं हम तस्मानिया के होबोर्ट में पहुंचे। 
  होबोर्ट -ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे पुराना शहर है हार्बर के चारो तरफ शीफ़ूड रेस्टुरेंट है ,विंटेज नाव और छोटी नौका भी देखने मिला। यहाँ जहाज बनता है और एक्सपोर्ट करते है ,ऊल ,मक्का भी बाहर जाता है। अब हम दूसरे दीं एक और खूबसूरत शहर ऐडलैड पहुंचे। 
  ऐडलैड -यहाँ की रानी के नाम पर पड़ा था। यहाँ का ओपेल ,चॉकलेट ,वाईन ,कंगारु प्रसिद्ध है दो दिन पानी मे चलने के बाद हम एस्पेरेंस पहुंचे।
  एस्पेरेंस-इसकी कहानी भी विचित्र है। पहले नाम भी नहीं सुने थे। usa का नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर ने 14 मई 1973 को स्काई लैब लांच किया था ,77 टन का स्काई लैब ऑरबिट से पृथ्वी में 1979 में गिरा। वह जगह ही एस्पेरेंस है। ऑस्ट्रेलिया ने 400 डॉलर का जुर्माना usa पर कर दिया। 30 साल बाद नासा ने जुर्माना भरा। समुन्दर किनारे म्यूजियम बना कर उसमे स्काई लैब को रखा है जिसे देश -विदेश से टुरिस्ट देखने आते है। सुन्दर छोटा कोस्टल टाउन है। यहाँ सफ़ेद गोल्ड ,लेदर गुड्स ,नारियल  होता है। अब हम एक और शहर
    अल्बानी -पहुँच गये ,यहाँ नेचुरल गहरे पानी का हार्बर है। साल भर टूरिस्ट आते हैं। यहाँ एक बड़ा सा पत्थर कुत्ते के शेप में है टूरिस्ट पत्थर के सामने खड़े हो कर फोटो खिचवाते है। अब हम फिर आगे बड़े ये हमारे सफर का अंतिम पड़ाव था
पर्थ -फ्रीमेन्टल -हमारे नए दोस्तों से बिदा होने का समय हो गया था। पर्थ में 2 -3 दिन घूमे ,विनयार्ड ,अंगुर का बाग ,चॉक्लेट फैक्ट्री देखे।
   20 -22 दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। दिन भर नए नए देश -सहर घूमना शाम को शिप में डांस ,ड्रामा ,सर्कस ,मूवी देखना और रात भर पानी में आगे ही आगे बढ़ते जाना,मजा ही मजा  .











   

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