FRI,15 JAN
                                 मकर संक्रांति का त्यौहार 
   वैसे तो हर साल 14 जनवरी को संक्रांति मनाया जाता है। इस दिन तिल गुड दान का विशेष महत् है ,और खिचड़ी खाने का रिवाज पीढ़ी दर पीढ़ी चला आरहा है। पर इस बार 15 जनवरी को पड़ा है। इस बार बचपन का संक्रांत का बरबस याद आगया।बात 50-55 साल पुरानादादी के ज़माने का है।   
       बचपन में दादा -दादी हम सब बच्चों को स्वर्णरेखा नदी ले जाते थे। वहाँ मेला लगता था। वहाँ के आदिवासियों का टुसु पर्ब संक्रांत के दिन होता है। सब नदी के किनारे जमा होते थे नए वस्त्र ,लाल साड़ी में सजे रहते थे और नाचते थे। हमलोग खुब मेला तो घुम लेते थे पर ठेले से कुछ खरीदने नहीं मिलता था और डांट पड़ता था मेला का चीज खाने नहीं मिलेगा ,घर चलो वहां दही ,चुडा और तिलकुट खाना और खिचड़ीखाना । आज भी टाटा क्या सारे बिहार में दही -चुडा तिलकुट खाने का रिवाज है और सब लोग बहुत चाव से खाते  है और मकर संक्रांति का त्यौहार मानते है।









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