शनिवार, 19 दिसंबर 2015

ROUND TRIP WITH KIDS

SAT ,19 DEC
                                                    बच्चों के साथ राउण्ड ट्रिप 
                   वैसे तो 1884 में पहली बार बच्चों के साथ एशिया के कुछ देश में घुमने गए थे। अब फिर 1989 में हम चारों को एक बार फिर से विदेश भ्र्रमण का अवसर मिला।इस बार हमलोगों ने राउंड ट्रिप का टिकट लिया। बच्चों के साथ घूमने का अपना ही मजा होता है। बोलते हैना दुनिया गोल है ,बस हमलोग भी निकल पड़े। सिंगापुर ,हांगकांग ,जापान होते हुये ,अमेरिका पहुँच गये ,फिर वहाँ से लन्दन होते हुये एम्स्टर्डम पहुँच गए। और फिर भारत। दुनिया का एक चकर हो गया।
 हमारा सफर बम्बई से सिंगापुर होकर शुरू हुआ। यहाँ किशोर के साथ रहने और घूमने का मौका मिला। आज तो बस याद ही रह गया। सिंगापुर में एक और नया चीज देखें ,एक कार  बहुत ही सुन्दर सजा हुआ जा रहा था ,पता चला ये तो अर्थी है। यहाँ जन्म ,शादी और मरण तीनो ही ऎसे ही धूम धाम से मानते है।  
         बच्चों को जापान में डिज्नीलैंड में बहुत ही मजा आया। उस समय अपने देश में येसब नहीं था। जापान में स्कूल के छोटे बच्चों को लाईनमें  आगे और पीछे टीचर बिच में बच्चे रस्सी से बांध कर रोड क्रॉस कराते दिखा बड़ा ही अजीब लगा बाद में अमेरिका में भी देखने मिला। 
वैसे अमेरिका के अलग -अलग शहर में भी खुब मजा किये देखे। पर न्यूआर्क का लिबर्टी ,लॉसएंजेलिस का डिज्नी ,हॉलीवूड का यूनीवर्सल स्टुडिओ ,मिशिगन में बोटिंग तो मियामी के समुन्द्र तट की सैर सब ही बहुत मजेदार था। वाशिंगटन में तो मोनोमेंट ,व्हाईटहाऊस ,म्यूजियम सब पैदल घूम -घूम कर हमलोग थक कर आपस में खुब हँसते और बोलते थे की अरे बाबा नाम ही है वॉशिंगटन dc (धीरे चलो ). अमेरिका मैं डॉल्फ़िन शो भी नया प्रोग्राम देखने मिला।अब तो हर देश में डॉल्फ़िन शो दिख जाता है।  
  लन्दन भी बड़ा अच्छा लगा वहाँ मेट्रो ट्रेन में घूमना अपना ही अनुभव था। बच्चोने आईस स्केट किया। ताजा ब्रेड सैंडविच (रोटी के अन्दर भर कर) खाया ,लन्दन ब्रिज में हॉट पोटैटो गरमा गरम बेक आलु मक्खन के साथ खाना सीखा ,और लन्दन का फिश न चिप्स का बात ही क्या। 
 अब लास्ट पड़ाव एम्स्टर्डम भी कुछ कम नहीं था ,ट्यूलिप फूल के लिये तो फेमस है ही वहाँ का पवन चक्की ,कैनाल और बोट में रात रुकना भी मजेदार था। 
 मजे की बात तो येभी था की बॉम्बे से जापान तक जितने बार प्लेन बदले हर बार सेम स्टाफ रहते थे बच्चों का दोस्ती भी हो गया था। यहाँ तक की डिज्नी में भी घूमते हुए मिले। एयरहोस्टेस बोली अब हमलोग वापस इंडिया जायेंगे और आपलोगों का आगे का सफर अब दूसरे एयरलाइन्स से होगा।
  सब मिलाकर हर बार की तरह ये भी यादगार टूर रहा। तब बच्चे छोटे थे उनके साथ घुमलीये ,अब बच्चे ही बाल बच्चे बाले होगये अब तो नाती पोता के साथ घूमना और मस्ती करना अच्छा लगता है।











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