मंगलवार, 10 सितंबर 2013

CHAITANYA MAHAPRABHU

                                    चैतन्य महाप्रभु  
              
                                  हर  हिन्दू  की दिली इक्छा होती है की एक बार वह पुरी जा कर भगवान जग्गरनाथ का दर्शन जरुर करे। वैसे तो पुरी रथयात्रा के लिये प्रसिद्ध है। परन्तु लोग अपनी सुविधा अनुसार पुरी जातें हैं और भगवान का दर्शन करते हैं ,सागर का मजा लेते हैं ,जिस के पास ज्यादा समय है वह भुवनेस्वर और साखी गोपाल भी जाते हैं। भुवनेस्वर में शंकर जी का बहुत ही पुराना लिंगराज का मंदिर है। कोणार्क में प्राचीन सूर्य मंदिर है। साखीगोपाल तो गवाह है की यहाँ भगवान स्वंय आये थे। पुरी में अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ उनकी मुर्ती स्थापित है। हर साल रथ यात्रा में भगवान अपनी मासीमाँ के घर स्वस्थ लाभ के लिये जाते हैं। दूज से एकादशी तक रहकर वापस मंदिर आते हैं।  
                                           पुरी आने पर बहुत लोग चिल्का लेख भी जाते हैं। चिल्का खारे पानी का झील है ,यहाँ बहुत सारी नदी आकर मिली है। झील में 3 -4 घंटे बोटिंग कर सकते हैं। यहाँ डोल्फीन। मछली और तरह -तरह की पक्षी देख सकते हैं। 
                                        पुरी की सैर यहीं समाप्त नहीं होती है। लोगों को पता नहीं है की पुरी में चैतन्य महाप्रभु का बहुत बड़ा आश्रम है। हम भी 3 -4 बार पुरी गयें पर पिछले साल ही आश्रम का पता चला। स्कूल में ऊनके बारे में पड़े थे। चैतन्य महाप्रभु का जन्म बंगाल के नवदीप में संवत 1542 फाल्गुन पुर्णीमा में हुआ। ८-9 भाई बहनों में सबसे छोटे थे ज्योतिषी ने कुण्डली देख कर पहले ही बतादीया था की बालक महापुरुष होगा। पिता जगर्नाथ और माता शची देवी थी। प्यार का नाम निमाई था ,गोअरांग नाम से भी जाने जाते थे। 
                            बचपन से ही कृष्ण भक्त थे। दिन भर कृष्ण लीला ,कृष्ण भजन में लगे रहते थे।गया जी में संन्यासी इश्वरपुरी से कृष्ण दीक्छा ली। वृन्दा वन में जाकर कृष्ण के ध्यान में सदा रहते थे। अपने सुंदर बाल कटवाकर सन्यासी बन गए। सन्यासी बनने के बाद पुरी में अपना समय जगर्नाथ जी के मंदिर में बिताने लगे। तब निमाई से चैतन्य कहलाने लगे। 24 साल की उम्र में सन्यास लिये और 48 साल तक पुरी में भगवान की सेवा में अपना समय बिताये। 48 साल में रथयात्रा के दिन जीवन लीला समाप्त हुआ। पुरी का आश्रम गौर आश्रम के नाम से जाना जाता है। जोकी बहुत ही बड़ा है। आश्रम में चारों ओर विष्णु जी का अलग -अलग रूप और लीला का मुर्ती है। जो बहुत ही सुंदर दिखता है। मन को छूलेता है।हम खुस किस्मत हैं जो हमें इतना अच्छा  संत का आश्रम जाने और देखने का अवसर मिला।
आश्रम 
चैतन्य महाप्रभु 
जगार्नाथ जी 
रासलीला 
पुरी मंदिर 
पुरी सुर्योदय 
चिल्का  लेख 
          

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