शनिवार, 17 अगस्त 2013

MY CHILDHOOD

                               मेरा बचपन  (   5.8.2013.)
आज  मेरा बर्थडे है। देखते ही देखते हम इतने बड़े होगए ,किसी की पत्नी ,माँ नानी दादी ,सास सब बन गये। लेकिन आज भी अपना बचपन नहीं भुला पायें बचपन बचपन ही होता है। 
                    आज बचपन  की सारी बातें एक -एक कर याद आरहा है। 
मेरे पिता जी चार भाई थे ,घर में हम  सब की लाडली थे।लडकी में हम सब से बड़े थी।  मेरा बचपन बहुत ही लाड प्यार में बीता। दादा -दादी ,माँ-बाबा ,चाचा -चाची सब के गोद में खेलते हुए बीता। 
                      कोई  प्यार से लिली पुकारता तो कोई विक्टोरिया। दादी लीलू बेटा कहती। मेरी माँ मेरा नाम सुनीता रखी। हमारे दादा बच्चों के जन्म दिन में एक बड़ा सा रस्गुला लाते थे ,हम लोग उसे ही काटते थे। तब केक काटने का रिबाज नहीं था। आज भी वह रस्गुला याद आता है। 
          बचपन के दिन बहुत मजे में गुजरा ,आज जन्म दिन के दिन पुरानी बातें बार -बार याद आरहा है। माँ के हाथ का स्वादिस्ट भोजन ,उनका प्यार ,दुलार। घर में काका चाचा सब के बच्चों को मिला कर हम पाँच भाई और बहन थे। हमें पता ही नहीं था की हम सग्गे नहीं चचेरे हैं। दादा दादी के गोदी में हम पांचों  का लालन -पालन हुआ। बचपन में हम सबों को दादा के ऑफिस से आने का इंतजार रहता था ,दादा आते समय हमलोगों के लिए रसमलाई लाते थे जब हमारा रिजल्ट निकलता था उस दिन शाम को एक हंडिया गोरंगो मिष्टान से रसगुला लेकर आते थे। हमारे बाबा हमेशा सिंघाड़ा और जलेबी लाते थे। 
              आज हमारा भरा पूरा परिवार है नाम है धन -दॉलत ,मान -सम्मान है। बहु बेटे ,पोते सबों ने मिल कर मेरा जन्म दिन मनाया।  
                     हम बहुत किस्मत वाले हैं ,आज बच्चों ने कार्ड फूल दिया ,बहु ने मेरी पसंद का केक बनाया ,बेटे ने चोकलेट दिया मजेंमे मेरा जन्म दिन मनाया गया।फिर भी माँ के हाथ का पकबान और बचपन के ओ दिन बार बार याद आ रहा है।  
                मेरे दादा 1955 में लन्दन से हमको कार्ड भेजे थे हम अभी तक सम्भाल क़र  रखे हैं। लन्दन से चाभी वाला कैट लायें थे अभी तक मेरे पास है
। दादा दादी के गोद में 
माँ 
बाबा 
दादा  दादी 
Hum
Rita,Bhaiya & Hum

Maa


With Kishore

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