ARBI PATTA
कोचई पत्ता
बरसात के मौसम में कोचई का पौधा हरा भरा रहता है और इसके जड़ (कंद )को भी निकाल कर सब्जी बनाया जाता है।वैसे पत्ता साल भर होता है ,ठण्ड में सुषुप्ता अवस्था में रहता है और गर्मी से बरसात तक इसका ग्रोथ बहुत ही अच्छा होता है। हर जगह अलग नाम से जाना जाता है। टारो ,अरबी ,कोचई इत्यादी। वैसे पत्ते के बड़े आकर के कारण हाँथी का कान (ELEPHANTS EAR प्लॉंट )भी बोला जाता है।
जहाँ अरबी की सब्जी बनाया जाता है ,वहीं इसके पत्ते का पकौड़ा भी बनता है और कढ़ी भी बनता है। चना दाल पीस कर या उड़द दाल पीस कर या फिर बेसन को पत्तों में लगा कर फिर लपेट कर रोल बनाना पड़ता है। फिर या तो स्टीम कर के गोल गोल काटा जाता है या फिर गोल गोल काट कर तलना पड़ता है। तला वाला ऐसे भी कुरकुरा पकौड़ा जैसा खा सकते है या फिर कढ़ी में डाल कर पका कर खाया जाता है।
बचपन से बड़े शौक से खाते थे। अभी भी बरसात में नया -नया नरम पत्तों को जरूर बना कर खाते है। बाबा जबर्दस्ती कोचई का पौधा रायपुर लगाने के लिये दिए थे। बोले इतना बड़ा गार्डन है ले जाओ हमारे पास गुजरात का स्पेशल पौधा है जो कि खुजलाता भी नहीं है,बाजार वाला खुजलाने वाला होता है। 25 -30 साल हो गया पौधा लगाए खुब पकाते और खाते है और पत्ता बांटते भी है। गार्डन में घूमते हुए बाबा को याद भी करते है। हरा -भरा सुन्दर -सुंदर देखने में भी अच्छा लगता है।
सारे मिनरल और विटामीन से भरपूर होने के कारन बहुत उपयोगी भी है। सेहत के लिये फायदेमंद भी है। व्रत में भी अरबी उबाल कर खाया जाता है। जानें अनजाने में एक उपयोगी ,सूंदर पौधा लग ही गया।
कोचई पत्ता
बरसात के मौसम में कोचई का पौधा हरा भरा रहता है और इसके जड़ (कंद )को भी निकाल कर सब्जी बनाया जाता है।वैसे पत्ता साल भर होता है ,ठण्ड में सुषुप्ता अवस्था में रहता है और गर्मी से बरसात तक इसका ग्रोथ बहुत ही अच्छा होता है। हर जगह अलग नाम से जाना जाता है। टारो ,अरबी ,कोचई इत्यादी। वैसे पत्ते के बड़े आकर के कारण हाँथी का कान (ELEPHANTS EAR प्लॉंट )भी बोला जाता है।
जहाँ अरबी की सब्जी बनाया जाता है ,वहीं इसके पत्ते का पकौड़ा भी बनता है और कढ़ी भी बनता है। चना दाल पीस कर या उड़द दाल पीस कर या फिर बेसन को पत्तों में लगा कर फिर लपेट कर रोल बनाना पड़ता है। फिर या तो स्टीम कर के गोल गोल काटा जाता है या फिर गोल गोल काट कर तलना पड़ता है। तला वाला ऐसे भी कुरकुरा पकौड़ा जैसा खा सकते है या फिर कढ़ी में डाल कर पका कर खाया जाता है।
बचपन से बड़े शौक से खाते थे। अभी भी बरसात में नया -नया नरम पत्तों को जरूर बना कर खाते है। बाबा जबर्दस्ती कोचई का पौधा रायपुर लगाने के लिये दिए थे। बोले इतना बड़ा गार्डन है ले जाओ हमारे पास गुजरात का स्पेशल पौधा है जो कि खुजलाता भी नहीं है,बाजार वाला खुजलाने वाला होता है। 25 -30 साल हो गया पौधा लगाए खुब पकाते और खाते है और पत्ता बांटते भी है। गार्डन में घूमते हुए बाबा को याद भी करते है। हरा -भरा सुन्दर -सुंदर देखने में भी अच्छा लगता है।
सारे मिनरल और विटामीन से भरपूर होने के कारन बहुत उपयोगी भी है। सेहत के लिये फायदेमंद भी है। व्रत में भी अरबी उबाल कर खाया जाता है। जानें अनजाने में एक उपयोगी ,सूंदर पौधा लग ही गया।
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