बहुत दिनों से दीदी अपना खेत घुमने बुला रही थी पर मौका ही नहीं लग रहा था।इस बार आखिर ठंड में खेत घुमने का मौका मिल ही गया। अब बाग -बगीचा तो देखने नहीं मिलता है नगरों में दूर -दूर तक कांक्रीट का जाल ही दिखता है। दीदी के बाग मै दूर-दूर तक हरियाली ही देखने मिला। मन प्रशन हो गया दिल खुश हो गया।
जहाँ नजर दौड़ाओ गोभी ही गोभी ,तरह -तरह के ठंड के साग सब्जी। खेत में बोरिंग का पानी कल कल बह रहा है। बगुला ,चिड़ियाँ बेखौफ घूम रही है। इतना सुन्दर प्रक्रिति नजारा देख कर सचमुच दिल बाग -बाग हो गया।
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