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हमारा सेवक अरुण
विनम्र श्रद्धांजली
हमारा सेवक अरुण को विनम्र श्रद्धांजली (13.5 .2016 )
ईमान्दार ,मेहनती ,विशवास योग। ऐसा सेवक मिलना मुस्किल। पुराना हिन्दी पिक्चर में दीनू काका ,रामू काका जैसा था अरुण। ऐसा सेवक ना मिला है न मिलेगा। न तो जनता ही नहीं था कैसा भी काम हो हँसी खुशी अपना समझ कर करता था।
कैंसर ना होता और ऑप्रेसशन करवाना नहीं पड़ता तो आज हम सबो के बीच होता। पुरे घर में उसकी यादें हैं। क्या होली -दीवाली हो या कोई भी त्यौहार छुट्टी तो जनता ही नहीं था। राजेश -राकेश छोटा था तब से काम कर रहा है कितना आदर से राजेश बाबा -राकेश बाबा बोलता था ,पोता लोगो का भी सेवा किया। गार्डन का काम हो या रसोई की तैयारी करवाना हो ,आँचर वनवना हो या पापड़ ,बड़ी बस बोलने की देरी सुबह से काम शुरू कर देता था। घर के एक -एक मेहमान हो या दूर का रिस्तेदार सबो को जानना उनका खातिर मान करना बस अरुण ही कर सकता था।पूरा घर उसके माथे छोड़ दो सम्भाल लेता था। कुत्तों का सेबा करना घर के नौकरो को डाँट कर उनसे सही ढंग से काम करवाना।
एक महीना घुम कर आने के बाद इतना बड़ा दुःख का समाचार विश्वाश ही नहीं होता की अरुण अब हमारे बिच नहीं रहा।3 -4 महीना बहुत कस्ट सहा। आखिर दुनिया छोड़ चला गया।
अरुण की कमी हम सबो को बहुत खलेगी। भगवन अरुण की आत्मा को शांति प्रदान करे।
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