देखते हे देखते बाबुजी को 35 साल और माँ को 20 साल गुजरे हो गये। पर लगता है कल की ही बात है। संजोग भी क्या चीज़ होता है ,बाबुजी और माँ दोनों का तारीख अलग -अलग है पर तिथि एक ही है। 15 साल के अंतराल में दोनों का देहांत हुआ था पर अंतिम संस्कार बसंत पंचमी के दिन हुआ।
वैसे तो जो चला जाता है धीरे -धीरे बस उनकी याद ही रह जाती है ,और उनके बगैर रहने का आदत भी हो ही जाता है। बाबुजी गुजरे थे तब राकेश बहुत ही छोटा था उसको धुँदला याद ही है। पर माँ के जाने के बाद राकेश आज भी माँ को बहुत याद करता है। अपनी दादी के बहुत ही करीब था। जब से जन्म लिया तब से क्लास 12 तक दिन रात अपनी दादी के साथ रहना ,सोना ,मस्ती करना उसका रूटीन था। अपनी दादी की कमी आज भी महसुस करता है। आज बसंत पंचमी के दिन एक एक कर सब घटना याद होते जा रहा है।
बाबुजी --19 जनवरी 1980 --देहांत
माँ ---3 फरवरी 1995 --देहांत
बसंत पंचमी -अंतिम संस्कार
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