मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016
शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016
DEATH ANNIVERSARY
देखते हे देखते बाबुजी को 35 साल और माँ को 20 साल गुजरे हो गये। पर लगता है कल की ही बात है। संजोग भी क्या चीज़ होता है ,बाबुजी और माँ दोनों का तारीख अलग -अलग है पर तिथि एक ही है। 15 साल के अंतराल में दोनों का देहांत हुआ था पर अंतिम संस्कार बसंत पंचमी के दिन हुआ।
     वैसे तो जो चला जाता है धीरे -धीरे बस उनकी याद ही रह जाती है ,और उनके बगैर रहने का आदत भी हो ही जाता है। बाबुजी गुजरे थे तब राकेश बहुत ही छोटा था उसको धुँदला याद ही है। पर माँ के जाने के बाद राकेश आज भी माँ को बहुत याद करता है। अपनी दादी के बहुत ही करीब था। जब से जन्म लिया तब से क्लास 12 तक दिन रात अपनी दादी के साथ रहना ,सोना ,मस्ती करना उसका रूटीन था। अपनी दादी की कमी आज भी महसुस  करता है। आज बसंत पंचमी के दिन एक एक कर सब घटना याद होते जा रहा है।
                             बाबुजी --19 जनवरी 1980 --देहांत 
                                     माँ ---3 फरवरी 1995 --देहांत 
                            बसंत  पंचमी -अंतिम संस्कार 
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016
RANCHI TO TATA BY ROAD
FRI,12 FEB
                                       रॉंची से टाटा रोड द्वारा 
    राँची पहले भी 3 -4 बार जाना हुआ पर इस बार बहुत ही खास अवसर था। पोती की बेटी हुई उसका फंक्शन था। इस खुशी के अवसर में जाना बड़ा अछा लगा। बहुत मजा किये पूरा परिवार जमा हुआ। राँची में पार्टी के बाद टाटा जाना था ,अब माँ बाबा जब तक हाँ कोई मौका तो टाटा जाने का छोड़ना नहीं है। राँची से रोड से टाटा केलिए निकल पड़े रास्ते में  देवी मंदिर जो की सैकड़ों साल पुराना है देखे।बिहार में छठ पूजा में सूर्य का पूजा होता है तो यहाँ बहुत बड़ा सूर्य मंदिर भी देखने मिला। जंगल पहाड़ का देश है तो बहुत बड़ा दशम फॉल देखे। बहुत बड़ा फूलों से सजा बड़ा ही अछा रेस्टुरेंट में भी जाना हुआ। प्रक्रिति नजारा देखते -देखते शाम को आराम से टाटा पहुँच गए ,समय का पता ही नहीं चला। माँ से मिलना भी हो गया फंक्शन का भी मजा ले लिये और सैर भी हो गया। 
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)












